मैं तो कुतूहल मात्र में, मुक्ति द्वार से आय।
वही शब्द का द्वार है, चेतन चेतन जाय।।
-स्वर्वेद 1/7/11
वह ज्ञान बिसरा नहीं, स्मरण होय मोहि आय।
यह महिमा प्रभु जानिये, भक्तन उर बस आय।।
– स्वर्वेद 1/7/12
:- महर्षि सदाफल देव जी महाराज की जय -:
प्रिय गुरु भाईयो ,
आप सभी से आवेदन है की 16, 17, 18 को हमारे डेहरी के कटार छेत्र में महायज्ञ सम्पन होने जा रहा है ,
अतः आप सभी से निवेदन है की आप सभी इसमें शामिल होकर इस महायज्ञ को समपन्न करे ,
और इसे सभी जगह शेयर करे जिनको नहीं मालूम हो उनको ये मालूम हो जाये आपका धन्यवाद !